जनगणना 2027 अपडेट: पहली बार जाति आधारित सर्वे
गृह मंत्रालय ने दी मंजूरी, दो चरणों में होगा विशाल सर्वेभारत में जनगणना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो देश की जनसंख्या, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, और विभिन्न सांस्कृतिक पहलुओं का ब्योरा तैयार करती है। 2027 में होने वाली अगली जनगणना का केंद्र सरकार ने औपचारिक रूप से ऐलान कर दिया है। इस बार यह सर्वे दो चरणों में होगा और पहली बार जाति आधारित गणना भी शामिल होगी। आइए विस्तार से जानते हैं कि क्या होगा नया, कब होगा, और क्यों है यह प्रक्रिया देश के लिए महत्वपूर्ण।
जनगणना 2027 दो चरणों में होगी प्रक्रिया
गृह मंत्रालय ने बताया है कि भारत की जनगणना 2027 में दो चरणों में आयोजित की जाएगी।

पहला चरण
हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन (HLO), जिसमें प्रत्येक घर के बारे में जानकारी एकत्रित की जाएगी। इसमें घर की स्थिति, उपलब्ध सुविधाएं, और परिसंपत्तियों का ब्यौरा शामिल होगा।
दूसरा चरण
जनसंख्या गणना (Population Enumeration – PE)
- इस चरण में हर व्यक्ति की विस्तृत जानकारी एकत्रित की जाती है, जिसमें जनसांख्यिकी, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि शामिल होती है।
- यह प्रक्रिया देश की विविध जनसंख्या के बारे में समग्र और सटीक डेटा उपलब्ध कराती है।
- 2011 की जनगणना में भी इसी दो-चरणीय मॉडल को सफलता पूर्वक अपनाया गया था।
- इस बार तकनीकी सुधारों और डिजिटल उपकरणों के उपयोग से इसे और अधिक प्रभावी तथा तीव्र बनाया जाएगा।
- डिजिटल तकनीक से डेटा संग्रहण, सत्यापन और विश्लेषण की गुणवत्ता बेहतर होगी, जिससे भविष्य की योजनाएं अधिक सटीक होंगी।
पहली बार होगी जाति आधारित गणना
जनगणना 2027 की सबसे बड़ी खासियत है जाति आधारित गणना। इससे पहले भारत में जातिगत आंकड़े आधिकारिक तौर पर उपलब्ध नहीं होते थे। इस बार, केंद्र सरकार ने पहली बार जाति आधारित डाटा एकत्रित करने का निर्णय लिया है। इससे देश की सामाजिक संरचना को समझने में मदद मिलेगी और विभिन्न जातियों के विकास तथा उनकी समस्याओं को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा।
- यह गणना सरकार को जातिगत आबादी का वास्तविक चित्र दिखाएगी।
- नीतिगत निर्णयों में अधिक पारदर्शिता और सटीकता लाई जा सकेगी।
- आरक्षण नीति को और अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा।
- शिक्षा से वंचित वर्गों की पहचान कर targeted योजनाएं बनाई जा सकेंगी।
- बेरोजगारी की दर को जातिगत आधार पर विश्लेषण किया जा सकेगा।
- सामाजिक कल्याण योजनाओं को जरूरतमंदों तक बेहतर ढंग से पहुँचाया जा सकेगा।
- संसाधनों के समान वितरण में सहायता मिलेगी।
- पिछड़े और वंचित समुदायों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सकेगा।
संदर्भ तिथि और स्थान
अधिकांश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 1 मार्च 2027 को संदर्भ तिथि के रूप में चुना गया है।
हिमालय क्षेत्र और अत्यधिक ठंडे इलाकों जैसे लद्दाख, जम्मू-कश्मीर के विशेष हिस्से, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड के लिए जनगणना की तिथि परिस्थितियों की जटिलता को देखते हुए अलग निर्धारित की गई है। इन क्षेत्रों में मौसम की विषम स्थितियों को ध्यान में रखते हुए जनगणना प्रक्रिया 1 अक्टूबर 2026 से शुरू की जाएगी, ताकि इस महत्वपूर्ण कार्य को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से संपन्न किया जा सके।
इस व्यवस्था से बर्फ़ीले और सर्द मौसम के कारण सर्वे में आने वाली दिक्कतों से निपटा जाएगा।
जनगणना 2027 अपडेट: पहली बार जाति आधारित सर्वे
डिजिटल तकनीक और स्व-संपादन सुविधा
जनगणना 2027 में तकनीक का व्यापक उपयोग किया जाएगा। लगभग 34 लाख enumerators और supervisors तथा करीब 1.3 लाख कार्यकर्ता डिजिटल उपकरणों से लैस होकर डेटा संग्रह करेंगे।
सरकार ने स्व-संपादन (Self Enumeration) सुविधा भी प्रदान की है, जिसमें परिवार के सदस्य ऑनलाइन जाकर अपनी जानकारी स्वयं अपडेट कर सकेंगे। इससे गलती की संभावना कम होगी और डेटा की शुद्धता बढ़ेगी।
जनगणना 2027 अपडेट: पहली बार जाति आधारित सर्वे
2021 की जनगणना स्थगित क्यों हुई?
भारत में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, जबकि अगली जनगणना 2021 में होनी थी। लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण जनगणना 2021 को स्थगित कर दिया गया। इस वजह से अगले जनगणना 2027 में 16 वर्षों का लंबा अंतराल हो गया।
कोविड महामारी ने जनगणना प्रक्रिया को अस्थायी तौर पर बाधित किया, लेकिन अब सरकार ने पूरी तैयारी के साथ इसे कराने का फैसला लिया है।
जनगणना की पूरी प्रक्रिया लगभग 21 महीने में पूरी होगी
- गृह मंत्रालय ने जानकारी दी है कि जनगणना 2027 की समूची प्रक्रिया को करीब 21 महीनों में निष्पादित किया जाएगा।
- इस अवधि में आंकड़ों का संग्रह, उनकी प्रामाणिकता की जांच, और फिर उनका विश्लेषण भी शामिल होगा।
- प्रारंभिक परिणाम मार्च 2027 तक सार्वजनिक किए जाने की योजना है।
- जबकि विस्तृत और श्रेणीकृत डेटा रिपोर्ट वर्ष के अंत तक साझा की जाएगी।
- इस पूरी प्रक्रिया को डिजिटल उपकरणों और सख्त डेटा सुरक्षा मानकों के साथ अंजाम दिया जाएगा।
भारत में पहली जनगणना का इतिहास
भारत में पहली जाति जनगणना का इतिहास बहुत पुराना है। पहली बार भारत में पूरी तरह समकालिक जनसंख्या जनगणना 1881 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी। इसके पहले 1872 में असमय और आंशिक जनगणना भी कराई गई थी।
अब 2027 की जनगणना भारत की 16वीं राष्ट्रीय जनगणना होगी और जाति आधारित यह आठवीं जनगणना साबित होगी।
क्यों है भारत में जनगणना महत्वपूर्ण?
नीतिगत निर्णय: जनगणना से मिली जानकारी के आधार पर सरकार योजनाएं बनाती है।
संसाधन आवंटन: शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे क्षेत्रों में संसाधनों का सही वितरण संभव होता है।
सामाजिक संरचना समझना: जाति, धर्म, भाषा आदि के आंकड़ों से सामाजिक विविधता की समझ मिलती है।
विकास और सुधार: जनगणना के आंकड़े देश के विकास की गति का मापदंड होते हैं।
जनगणना 2027 एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्य है जो देश के भविष्य की नींव रखेगा। डिजिटल तकनीक और दो चरणों में आयोजित इस प्रक्रिया से देश का हर नागरिक जुड़ा रहेगा। पहली बार होने वाली जाति आधारित गणना से भारत की सामाजिक तस्वीर और भी स्पष्ट होगी।
आप भी जनगणना के लिए तैयार रहें और इस प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी करें, क्योंकि यह आपके और देश के भविष्य का आधार है।
जनगणना 2027 अपडेट: पहली बार जाति आधारित सर्वे