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RCB के जश्न की भगदड़ में 14 साल की दिव्यांशी से लेकर 33 साल के मनोज जैसे युवाओं ने अपनी जान गंवाई

RCB के जश्न की भगदड़ में 14 साल की दिव्यांशी से लेकर 33 साल के मनोज जैसे युवाओं ने अपनी जान गंवाई

4 जून 2025 का दिन, जो बेंगलुरु के लिए इतिहास रचने वाला था, वही दिन अब एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो गया। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की पहली IPL ट्रॉफी जीतने का जश्न मनाने के लिए लाखों की संख्या में प्रशंसक चिन्नास्वामी स्टेडियम पहुंचे थे। लेकिन इस जश्न ने अचानक ऐसा भयानक मोड़ लिया कि 11 युवाओं की जिंदगी छिन गई और 75 से ज्यादा लोग घायल हो गए।

यह हादसा भारतीय क्रिकेट इतिहास की सबसे भीषण और दुखद घटनाओं में से एक बन गया। जो सपने लेकर युवा स्टेडियम आए थे, वे अब स्मृतियों में बदल चुके हैं।

हादसे की वजहें – जश्न से ज्यादा अव्यवस्था

  • चिन्नास्वामी स्टेडियम की क्षमता 35,000 लोगों की है।
  • आयोजन स्थल पर भीड़ अनुमान से बहुत ज्यादा थी — करीब 3 लाख लोग पहुंच गए।

उसी समय Vidhana Soudha में VIP कार्यक्रम चल रहा था, जिसमें राज्यपाल, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार शामिल थे।

सुरक्षा बलों का बड़ा हिस्सा उस कार्यक्रम में तैनात था, जिससे स्टेडियम में मौजूद पुलिसकर्मियों की संख्या बहुत कम रह गई।

इस असंतुलन और कुप्रबंधन ने भगदड़ का रूप ले लिया, जिसमें सैकड़ों लोग फंस गए।

वो नाम जो अब केवल यादों में रह गए

दिव्यांशी (14 वर्ष)

  • सबसे छोटी पीड़िता। RCB की जीत पर इतनी खुश थी कि रात को मुस्कराते हुए सोई। मां ने कहा – बंक मारो, आज विराट कोहली को देखने चलो।
  • वह उत्साह, मासूमियत और क्रिकेट के प्रति उसका जुनून अब केवल मां की आंखों में आंसू बनकर रह गया है।

मनोज कुमार (33 वर्ष)

प्रेसिडेंसी कॉलेज में BBM का छात्र। उसके पिता देवराज, जो पानीपुरी बेचते हैं, बोले –

“मेरा बेटा बहुत सपने देखता था। पढ़ाई कर, नौकरी कर, हमें आराम देना चाहता था। अब उसकी आंखें सदा के लिए बंद हो गई हैं।

श्रवण (20 वर्ष)

  • Ambedkar Medical & Dental College का BDS छात्र।
  • चिंतामणि का रहने वाला था।
  • उसके भविष्य की राह उसके कदमों के नीचे ही रुक गई।

शिवलिंगा (17 वर्ष)

  • यादगीर जिले के होनिगेरे गांव का निवासी।
  • ट्रांसफर सर्टिफिकेट लेने निकला था लेकिन RCB की खुशी में शामिल होने के लिए स्टेडियम की ओर मुड़ा।
  • यह उसकी ज़िंदगी का आखिरी मोड़ साबित हुआ।

प्रज्वल (22 वर्ष)

टेक प्रोफेशनल था। इंटरव्यू से निकल कर दोस्तों संग RCB की जीत का जश्न मनाने गया। लेकिन वह आखिरी दिन था जब परिवार ने उसका चेहरा देखा।

कमाची देवी (29 वर्ष)

Amazon की कर्मचारी और विराट कोहली की जबरदस्त फैन। दिनभर ऑफिस में मेहनत करती थी। सोचा था – आज खुद के लिए थोड़ा वक्त होगा।
वो वक्त उसकी जिंदगी का आखिरी पल बन गया

साहना (25 वर्ष)

Kolar की रहने वाली थी और बॉश कंपनी में काम करती थी। पूरे परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी उसी के कंधों पर थी। दोस्तों संग गई, लेकिन वापसी की कोई गली नहीं बची।

भूमिक लक्ष्मण (21 वर्ष)

अपने 10 दोस्तों के साथ गया था। रजत पाटीदार और पूरी टीम का विजय-लैप देखना चाहता था। लेकिन वह भीड़ में बिछड़ गया और हमेशा के लिए खो गया।

अक्षता पाई, चिन्मयी शेट्टी, पूर्णचंद्र

तीनों दोस्त थे, और RCB की जीत का हिस्सा बनने पहुंचे थे। लेकिन उनकी मौजूदगी अब बस श्रद्धांजलि तक सीमित रह गई है।

सरकारी मदद: क्या इतनी रकम जीवन की भरपाई कर सकती है?

  • कर्नाटक सरकार ने मृतकों के परिजनों को ₹10 लाख का मुआवज़ा ।
  • घायलों का निःशुल्क इलाज देने की घोषणा की।
  • KSCA (कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ) ने भी ₹5 लाख की सहायता देने का वादा किया है।

लेकिन सवाल यही है

क्या ये मुआवज़ा उन अधूरे सपनों को पूरा कर सकता है? क्या यह उन परिवारों का जीवन दोबारा सामान्य कर पाएगा?

समाज और प्रशासन से सवाल

  • जब भीड़ के आने का अंदेशा था, तो भीड़ प्रबंधन क्यों नहीं किया गया
  • सुरक्षा बलों की संख्या VIP कार्यक्रम के बजाय जनता की सुरक्षा में क्यों नहीं बढ़ाई गई?
  • क्या ऐसी ऐतिहासिक जीत को सुरक्षा इंतज़ामों के साथ संयोजित नहीं किया जाना चाहिए था?

RCB ने ट्रॉफी जीत ली, लेकिन इन 11 परिवारों ने अपनी दुनिया खो दी।

अब वक्त है कि हम खेल के नाम पर की गई हर बड़ी योजना में “जिम्मेदारी” को भी उतनी ही अहमियत दें जितनी “जश्न” को दी जाती है।

मुख्य बिंदु | Highlights

  • RCB की ऐतिहासिक IPL जीत का जश्न चिन्नास्वामी स्टेडियम में मातम में बदल गया।
  • 3 लाख से अधिक भीड़, जबकि स्टेडियम की क्षमता केवल 35,000 थी।
  • VIP कार्यक्रम के चलते अधिकतर सुरक्षा बल विधान सौधा की ओर तैनात थे।
  • सुरक्षा प्रबंधन की कमी और भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई।
  • इस भयानक भगदड़ में 11 लोगों की मौत और 75 से अधिक घायल हुए।
  • सभी मृतक 40 वर्ष से कम उम्र के थे — सबसे छोटी 14 वर्षीय दिव्यांशी और सबसे बड़े 33 वर्षीय मनोज कुमार थे।
  • मृतकों में 3 किशोर, 6 युवा (20-30 आयु वर्ग), और 2 अन्य शामिल।
  • RCB के फैन और भविष्य के सपने देखने वाले युवा अपनी जान गंवा बैठे।

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1 comment

Rahul says:

So sad

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