देखते ही गोली मारने के आदेश क्यों दिए
धुबरी, असम का एक शांत क्षेत्र, अचानक भड़की सांप्रदायिक अशांति और धार्मिक तनाव की घटनाओं से हिल गया। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों में भय का माहौल पैदा किया, बल्कि राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर चिंताएं भी खड़ी कर दीं।। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा दिए गए “देखते ही गोली मारने के आदेश” ने पूरे राज्य को चौंका दिया है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि मुख्यमंत्री को इतना सख्त कदम उठाना पड़ा? इस ब्लॉग में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि धुबरी जिले में क्या हुआ, किस वजह से हिंसा भड़की और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इतना बड़ा फैसला क्यों लिया।
क्या हुआ था धुबरी में?
धुबरी जिले के हनुमान मंदिर के पास ईद के अगले दिन यानी 7 जून को गाय का सिर मिलने से बवाल शुरू हुआ। यह एक अत्यंत संवेदनशील मामला था क्योंकि यह घटना ईद-अल-अधा के बाद हुई। पहले तो दोनों समुदायों ने संयम बरता और शांति बनाए रखने की कोशिश की, लेकिन अगले दिन फिर से वही हरकत दोहराई गई – एक और गाय का सिर मंदिर के पास मिला। इसके बाद हालात बेकाबू हो गए।
भीड़ ने प्रदर्शन करना शुरू किया, पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े और धारा 144 लागू कर दी गई। इससे धुबरी जिले की स्थिति और बिगड़ गई।
हेमंत विश्व शर्मा की कड़ी प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने तुरंत इस मामले में संज्ञान लिया और धुबरी का दौरा किया। उन्होंने साफ कहा, इस घटना को अंजाम देने वाले लोग बख्शे नहीं जाएंगे।उन्होंने इसे एक सुनियोजित साजिश बताया, जिसका उद्देश्य धार्मिक स्थलों का अपमान कर दंगे भड़काना था।
उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,
धुबरी में एक विशेष समूह सक्रिय हो गया है, जिनका उद्देश्य हमारे मंदिरों को नुकसान पहुंचाना है। हमने देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए हैं।
देखते ही गोली मारने का आदेश क्यों?
- मुख्यमंत्री के अनुसार, जब राज्य की कानून-व्यवस्था को बाधित करने की कोशिश होती है, तो सरकार को Zero Tolerance Policy अपनानी पड़ती है।
- धुबरी में दो दिनों तक कुछ असामाजिक तत्वों ने लगातार मंदिर की पवित्रता भंग करने का प्रयास किया।
- इसके साथ-साथ पत्थरबाजी की घटनाएं भी सामने आईं, जिससे हालात और तनावपूर्ण हो गए।
- मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में चेतावनी दी कि:
- रात के समय अगर कोई भी संदिग्ध गतिविधि करता है —
- जैसे पत्थर फेंकना, या
- धार्मिक स्थलों की ओर बढ़ना,
- तो पुलिस को यह अधिकार होगा कि वह देखते ही गोली चला सकती है।
- रात के समय अगर कोई भी संदिग्ध गतिविधि करता है —
बीफ माफिया’ और बाहरी साजिश का आरोप
- हिमंत बिस्वा सरमा ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल से हजारों गायों की तस्करी कर धुबरी पहुंचाया गया।
- उन्होंने इस पूरी साजिश को एक संगठित बीफ माफिया की करतूत बताया।
- इसके पीछे एक नया आपराधिक नेटवर्क सक्रिय है, जो राज्य में धार्मिक वैमनस्य फैलाने की कोशिश कर रहा है।
- मुख्यमंत्री ने यह भी खुलासा किया कि ‘नवीन बांग्ला’ नामक संगठन ने ऐसे भड़काऊ पोस्टर लगाए हैं:
- जिनमें धुबरी को बांग्लादेश में मिलाने की बात कही गई है।
- उन्होंने इसे एक खतरनाक मानसिकता करार दिया, जिसका उद्देश्य राज्य की सांप्रदायिक एकता को तोड़ना है।
शांति के लिए प्रशासन की पहल
धुबरी प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए CRPF और RAF की तैनाती की। शांति समितियों का गठन किया गया जिसमें हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों को शामिल किया गया। यह समितियां तनावग्रस्त क्षेत्रों में शांति बहाल करने का कार्य कर रही हैं।
धुबरी के डिप्टी कमिश्नर दिबाकर नाथ ने बताया कि अब स्थिति नियंत्रण में है और बाजार व दुकानों को फिर से खोलने की अनुमति दे दी गई है।
मुख्यमंत्री का भावनात्मक संदेश
हिमंत बिस्वा सरमा ने स्पष्ट किया कि यदि हालात ने मजबूर किया, तो वे अगली ईद पर स्वयं हनुमान मंदिर की निगरानी करेंगे। उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया कि “प्रदेश सरकार पूरी तरह आपके साथ खड़ी है, किसी को भी भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है।”
- धुबरी की घटना केवल एक आपराधिक हरकत नहीं थी, बल्कि एक सुनियोजित सांप्रदायिक उकसावे की रणनीति का हिस्सा थी।
- मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा दिया गया देखते ही गोली मारने का आदेश यह दर्शाता है कि:
- असम सरकार धार्मिक स्थलों के अपमान को
- और सांप्रदायिक हिंसा को
- किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं करेगी।
- यह स्पष्ट संकेत है कि राज्य सरकार अब Zero Tolerance Policy को सक्रिय रूप से लागू कर रही है।
- सरकार का मुख्य उद्देश्य है:
- कानून-व्यवस्था पर सख्त नियंत्रण बनाए रखना।
- धार्मिक उन्माद और उकसावे की राजनीति को जड़ से खत्म करना।
- सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक शांति को हर हाल में कायम रखना।