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पाकिस्तान की अपील : भारत से सिन्धु जल संधि पर बातचीत फिर शुरू करने का आग्रह

पाकिस्तान की अपील : बातचीत बहाल करने की मांग

भारत द्वारा सिन्धु जल संधि (Indus Waters Treaty – IWT) को अस्थायी रूप से निलंबित किए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत से अनुरोध किया है कि वह इस निर्णय पर पुनर्विचार करे।
पाकिस्तान ने पत्र लिखकर स्पष्ट किया है कि करोड़ों लोगों की जल निर्भरता इस संधि पर आधारित है।पाकिस्तान की अपील : भारत से सिन्धु जल संधि पर बातचीत फिर शुरू करने का आग्रह

संयमित भाषा में विरोध

हालाँकि पाकिस्तान का पत्र शिष्ट भाषा में लिखा गया है, लेकिन उसमें भारत के कदम को एकतरफा और अवैध कहा गया है।
पाकिस्तान ने इस निर्णय को देश की जनता और अर्थव्यवस्था पर हमला बताया है।

ऑपरेशन सिंदूर और संदर्भ

सूत्रों के अनुसार यह पत्र संभवतः ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सौंपा गया था।
भारत सरकार की ओर से इस पर अभी कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की गई है।

पाकिस्तान की अपील : भारत से सिन्धु जल संधि पर बातचीत फिर शुरू करने का आग्रह

भारत की प्रतिक्रिया और नीति

भारत ने अप्रैल 2025 में पाहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित किया था।

प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में दो टूक कहा था:
“रक्त और पानी एक साथ नहीं बह सकते।

23 अप्रैल को कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) ने फैसला किया कि जब तक पाकिस्तान आतंक पर ठोस कार्रवाई नहीं करता, तब तक संधि पर बातचीत संभव नहीं।

द्विपक्षीय वार्ता का भविष्य

पाकिस्तान ने पत्र में भारत से अपील की है कि वह अपने इंडस कमिश्नर को बातचीत के लिए नामित करे।

प्रतिनिधियों की नियुक्ति का अनुरोध

पाकिस्तान चाहता है कि दोनों देशों के आयुक्तों के बीच फिर से वार्ता की प्रक्रिया शुरू हो।

पाकिस्तान का अब तक का रुख

हालाँकि भारत ने 2023 से अब तक चार बार पत्र लिखकर वार्ता की पेशकश की, पाकिस्तान ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
अब जाकर यह “विनम्र पत्र” सामने आया है।

सिंधु जल संधि: नियम और पुराने विवाद

भारत की परियोजनाएँ और पाकिस्तान की आपत्तियाँ

भारत की परियोजनाएँ जैसे किशनगंगा और बगलीहार केवल नदी के बहाव से बिजली उत्पन्न करती हैं।
पाकिस्तान बार-बार डिज़ाइन को लेकर आपत्ति जताता रहा है।

सिंधु जल संधि (IWT) के अंतर्गत, भारत पश्चिमी नदियों – इंडस, झेलम, और चिनाब – पर बड़ा जलाशय या पनबिजली भंडारण नहीं बना सकता।

भारत का जवाब है कि सभी गतिविधियाँ संधि के अनुसार और तकनीकी संचालन के लिए आवश्यक हैं।

तकनीकी दृष्टिकोण से भारत की सफाई

भारत का कहना है कि यह run-of-the-river projects हैं और इनसे नदी के बहाव में कोई बाधा नहीं आती।

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